आज 9 मई है और पूरी दुनिया यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की तरफ देख रही है? वजह है बड़ी

Russia Victory Day celebrations: रूस में आज द्वितीय विश्वयुद्ध (World War-II) की जीत का जश्न मनाया जा रहा है. देश की 77वीं विजय दिवस (Victory Day) परेड के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के प्रशासन ने खास तैयारियां की हैं.

पुतिन खुद 9 मई को नाजी जर्मनी पर सोवियत संघ (USSR) की जीत की वर्षगांठ के मौके पर आयोजित समारोह का नेतृत्व कर रहे हैं. इस आयोजन में रूस की विराट सैन्य ताकत का वैश्विक प्रदर्शन ऐसे वक्त पर हो रहा है जब उसकी सेना यूक्रेन में लड़ रही है.

क्यों खास है आज की तारीख?

द्वितीय विश्व युद्ध में करीब 2.7 करोड़ सोवियत नागरिक मारे गए थे. रूस के लोग इस लड़ाई को ग्रेट पेट्रिओटिक वॉर के रूप में याद करते हैं. हर बार की तरह इस साल भी विक्ट्री परेड के आयोजन का अपना ही महत्व है. वहीं सच ये भी है कि यूरोप को आजाद कराने का दावा करने वाले रूस ने कुछ महीनों से पड़ोसी देश यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ रखी है और अभी तक उसे ऐसी कोई खास सफलता नहीं मिली है जिसका जश्न वो इस बार की परेड में मना सके.

पुतिन के भाषण पर निगाह

भले ही आज मॉस्को समेत पूरे रूस में लोग अतीत की यादों के साथ आज की ताकत पर गर्व कर रहे हों वहीं दूसरी ओर देश की सैन्य टुकड़ियां अपने वरिष्ठ अधिकारियों और राष्ट्रपति पुतिन के सामने परेड करेंगी. इस मौके पर रेड स्क्वैयर से पुतिन का भाषण होगा. जानकारों का मानना है कि पुतिन इस मौके पर अपने इरादे बयां करने वाले संदेश जारी करते हैं. ऐसे में पूरी दुनिया की निगाह आज उनके भाषण पर होगी ताकि रूस के अगले कदम का अंदाजा लगाया जा सके.

रूस की इस पहचान की पृष्ठभूमि

बीबीसी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक सोवियत संघ के दौर में ये परेड कभी-कभार होती थी. लेकिन 1995 में तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने नाजी जर्मनी पर जीत की 50वीं सालगिरह के मौके पर इस बड़े समारोह के रूप में मनाने का फैसला किया. वहीं पुतिन ने 2008 में इसे एक सालाना आयोजन का रूप देते हुए अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. रूस की ऐसी पहचान बड़े पैमाने पर विजय दिवस की पृष्ठभूमि में गढ़ी गई है, जिसमें स्कूली किताबों और इतिहास की किताबों तक में रूस को यूरोप के युद्धकालीन मुक्तिदाता के रूप में दिखाया गया है.

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